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25 जुलाई 2025 को, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। उन्होंने 4,078 दिनों के निर्बाध कार्यकाल के साथ पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया, जो 24 जनवरी 1966 से 24 मार्च 1977 तक 4,077 दिनों तक लगातार प्रधानमंत्री रहीं। इस उपलब्धि के साथ, मोदी भारत के इतिहास में दूसरे सबसे लंबे समय तक लगातार सेवा करने वाले प्रधानमंत्री बन गए हैं, जो केवल देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से पीछे हैं, जिन्होंने 15 अगस्त 1947 से 27 मई 1964 तक 16 वर्ष और 286 दिनों तक सेवा की।
स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी का यह रिकॉर्ड इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वे स्वतंत्र भारत में जन्मे पहले प्रधानमंत्री हैं। 17 सितंबर 1950 को गुजरात के वडनगर में जन्मे मोदी की कहानी एक साधारण चाय विक्रेता से लेकर देश के सर्वोच्च पद तक की प्रेरणादायक यात्रा है। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल उनके व्यक्तिगत दृढ़ संकल्प को उजागर किया, बल्कि भारत की बदलती राजनीतिक गतिशीलता को भी प्रदर्शित किया।
गुजरात से दिल्ली तक का सफर
मोदी की राजनीतिक यात्रा 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शुरू हुई, जहां उन्होंने 2001 से 2014 तक लगातार तीन बार राज्य का नेतृत्व किया। इस दौरान, गुजरात ने आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचे और निवेश के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की। उनकी नीतियों ने गुजरात को निवेश के लिए आकर्षक गंतव्य बनाया, और विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) की स्थापना ने उद्योगों को बढ़ावा दिया। इस सफलता ने उन्हें राष्ट्रीय मंच पर ला खड़ा किया, और 2014 में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत के साथ, वे भारत के प्रधानमंत्री बने।
एक गैर-कांग्रेसी नेता की अनूठी उपलब्धियां
मोदी कई मायनों में एक असाधारण नेता हैं। वे पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने दो पूर्ण कार्यकाल पूरे किए और तीसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ चुने गए। इसके अलावा, वे पहले गैर-हिंदी भाषी राज्य से आने वाले सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रधानमंत्री हैं। उनकी नेतृत्व शैली, जो संचार और जन-जागरूकता पर केंद्रित है, ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाया। ‘मन की बात’ जैसे उनके रेडियो कार्यक्रम ने उन्हें सीधे लोगों से जोड़ा, जिससे नीतियों और योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ी।
महत्वपूर्ण नीतियां और सुधार
मोदी के कार्यकाल में कई महत्वाकांक्षी योजनाएं शुरू की गईं, जिन्होंने भारत के सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी परिदृश्य को बदल दिया। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:
- डिजिटल इंडिया: 1 जुलाई 2015 को शुरू की गई इस पहल ने डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच बढ़ाने का काम किया। इसने भारत को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- स्वच्छ भारत अभियान: स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया यह अभियान देश भर में स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाने में सफल रहा।
- आत्मनिर्भर भारत: आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई इस योजना ने स्थानीय उत्पादन और उद्यमिता को प्रोत्साहित किया।
- मेक इन इंडिया: इस पहल ने भारत को विनिर्माण का केंद्र बनाने का लक्ष्य रखा, जिससे विदेशी निवेश और रोजगार के अवसर बढ़े।
इन योजनाओं ने न केवल भारत की आर्थिक प्रगति को गति दी, बल्कि वैश्विक मंच पर देश की स्थिति को भी मजबूत किया। 2023 में जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी ने भारत की वैश्विक नेतृत्व क्षमता को प्रदर्शित किया, जिसमें अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्यता दिलाने में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण रही।
इंदिरा गांधी के साथ तुलना
इंदिरा गांधी, जिन्हें भारत की ‘आयरन लेडी’ के रूप में जाना जाता है, ने 1966 से 1977 और फिर 1980 से 1984 तक देश का नेतृत्व किया। उनके कार्यकाल में भारत ने कई महत्वपूर्ण घटनाओं का सामना किया, जिसमें 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध और बांग्लादेश की मुक्ति शामिल है। उनकी नीतियों ने भारत को एक मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित किया, लेकिन आपातकाल (1975-1977) जैसे निर्णयों ने उनके कार्यकाल को विवादास्पद भी बनाया।
मोदी का कार्यकाल, दूसरी ओर, आर्थिक सुधारों, डिजिटल प्रगति और सामाजिक एकता पर केंद्रित रहा है। जहां इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीयकरण और सामाजिक कल्याण पर जोर दिया, वहीं मोदी ने उदारीकरण और वैश्वीकरण को बढ़ावा दिया। दोनों नेताओं की तुलना उनके समय और परिस्थितियों के आधार पर की जा सकती है, लेकिन मोदी का निर्बाध कार्यकाल और उनकी नीतियों की निरंतरता उन्हें एक अलग स्थान देती है।
वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति
मोदी के नेतृत्व में भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को अभूतपूर्व रूप से मजबूत किया है। उनकी विदेश नीति ने भारत को एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में स्थापित किया। जी20, संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उनकी सक्रिय भागीदारी ने भारत की छवि को नया आयाम दिया। उनकी ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति और ‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी ने क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा दिया।
आलोचनाएं और चुनौतियां
हर बड़े नेता की तरह, मोदी का कार्यकाल भी आलोचनाओं से अछूता नहीं रहा। कुछ आलोचकों का मानना है कि उनकी नीतियों ने सामाजिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दिया, जबकि अन्य ने आर्थिक असमानता और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर सवाल उठाए। हालांकि, उनके समर्थक उनकी नीतियों को भारत की दीर्घकालिक प्रगति के लिए आवश्यक मानते हैं।
भविष्य की दिशा
मोदी का यह रिकॉर्ड केवल एक संख्या नहीं है; यह भारत के भविष्य को आकार देने की उनकी दृष्टि का प्रतीक है। उनकी योजनाएं, जैसे कि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य, उनकी दीर्घकालिक सोच को दर्शाती हैं। उनकी नीतियों ने भारत को न केवल आर्थिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी एकजुट करने का प्रयास किया है।
नरेंद्र मोदी का 4,078 दिनों का निर्बाध कार्यकाल भारत के इतिहास में एक मील का पत्थर है। उनकी नेतृत्व शैली, नीतियां और वैश्विक दृष्टिकोण ने भारत को एक नई दिशा दी है। इंदिरा गांधी के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ते हुए, मोदी ने न केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि हासिल की है, बल्कि भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है। उनकी यह यात्रा न केवल उनके समर्पण को दर्शाती है, बल्कि भारत की प्रगति और एकता की कहानी भी बयां करती है।
क्रेडिट: यह लेख हिंदुस्तान टाइम्स की खबर “नरेंद्र मोदी ने इंदिरा गांधी के निर्बाध कार्यकाल को पीछे छोड़ा” पर आधारित है। जानकारी और तथ्य 25 जुलाई 2025 की स्थिति के अनुसार सत्यापित किए गए हैं।
डिस्क्लेमर:यह लेख केवल सूचना और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। इसमें व्यक्त विचार लेखक के हैं और हिंदुस्तान टाइम्स या किसी अन्य संगठन के आधिकारिक दृष्टिकोण को नहीं दर्शाते। लेख में दी गई जानकारी सटीकता के लिए सत्यापित की गई है, लेकिन पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे स्वतंत्र रूप से तथ्यों की जांच करें। किसी भी त्रुटि या चूक के लिए लेखक या प्रकाशक जिम्मेदार नहीं होंगे।