विदेश की ताजा खबरें 17 जुलाई 2025: डोनाल्ड ट्रम्प, ईरान, पाकिस्तान | अंतरराष्ट्रीय समाचार

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इजराइल और अमेरिका की तरफ से ईरान को लगातार धमकी दी जा रही है। उस पर अमेरिका के साथ परमाणु समझौते के लिए दबाव बनाया जा रहा है। लेकिन इन धमकियों का ईरान पर कोई असर पड़ता नजर नहीं आ रहा। उल्टे अब ईरान की तरफ से इजराइल और अमेरिका को चेतावनी दे दी गई है। ईरान के सर्वोच्च नेता खामिनेई ने साफ कहा कि अगर इजराइल अमेरिका ने दोबारा कोई हिमाकत की तो अंजाम घातक होगा।

इस बीच इजराइली प्रधानमंत्री बिनयामिन नेत्याहू को अपने ही देश में बड़ा झटका लग गया है। उनकी सरकार खतरे में आ गई है। तो ईरान ने दी धमकी संकट में नेत्याहू सरकार। सीरिया में इजराइल के ताबड़तोड़ हमलों से बैकफुट पर आई सीरिया की अलशरा सरकार। ड्रूस इलाके से वापस बुलाने शुरू किए सैनिक। पांच दिन के संघर्ष के बाद युद्ध विराम लागू। बलूच आर्मी का पाकिस्तान के 29 सैनिकों को मारने का दावा। कहा आजादी तक पाक की सेना चुकाएगी कीमत। उधर पूर्व पीएम इमरान खान ने आर्मी चीफ मुनीर पर लगाए बड़े आरोप। बांग्लादेश में शेख हसीना का गढ़ गोपालगंज बना युद्ध का मैदान।

एनसीपी की रैली के दौरान भड़की हिंसा। वहीं हिंदुस्तान की अपील के बाद फिल्म मेकर सत्यजीत रे का घर गिराने पर रोक। और चलते-चलते में देखेंगे ब्रह्मांड की एक खाली जगह में तैर रही है धरती। वैज्ञानिक की नई खोज से खलबली। एस्टीन मामले में अपने ही समर्थकों पर भड़के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बोले यह कभी नहीं सीखेंगे। एस्टीन से जुड़े दस्तावेजों में ट्रंप का भी नाम होने का किया गया है दावा। 

ट्रंप सरकार के खिलाफ एक बार फिर सड़कों पर लोग अप्रवासन स्वास्थ्य सेवाओं में कटौती के खिलाफ होगा देशव्यापी प्रदर्शन। बीते महीने लॉस एंजेल्स में प्रदर्शन के दौरान भड़क गई थी हिंसा। अगर सोच रहे हैं 51वें दिन क्या होगा तो खामनई को करे फोन। यूएस सेनेटर लिंडसे की रूसी राष्ट्रपति पुतिन को धमकी। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने यूक्रेन युद्ध सुलझाने के लिए रूस को 50 दिन की दी है डेडलाइन। गजा में फूड सेंटर पर भगदड़। 43 की गई जान।

खाना लेने के दौरान अब तक 870 फस्तीनी मारे गए। इजराइली सेना पर जानबूझकर जान लेने का आरोप। तो ईरान ने इजराइल और अमेरिका को साफ चेतावनी दे दी है कि अगर इन देशों ने दोबारा ईरान पर हमला करने की कोशिश की तो अंजाम बहुत बुरा होगा। यह धमकी किसी और ने नहीं खुद ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनेई ने दी है। ईरान इजराइल के बीच भले ही सीज फायर लागू है लेकिन जो हालात बनते नजर आ रहे हैं। जिस तरह से अमेरिका और इजराइल लगातार ईरान को धमकी दे रहे हैं। यही नहीं ईरान में कई जगह धमाकों की खबरें भी आ रही हैं।

उसे देखते हुए इस बात की आशंका जताई जा रही है कि कभी भी यह सीज फायर टूट सकता है। और अब खामेनेई का जो बयान सामने आया है उससे साफ है कि इस बात का एहसास ईरान को भी है कि ज्यादा दिन यह युद्ध विराम नहीं रुकेगा। इसलिए अब तक खामेनेई सार्वजनिक रूप से खुलकर सामने नहीं आ रहे। हालांकि उन्होंने सरकारी टेलीविजन पर एक बयान के जरिए जरूर इजराइल और अमेरिका को साफ कर दिया है कि वो ईरान पर दोबारा हमला करने की ना सोचे। खामेनेई ने कहा कि यह सब जानते हैं कि हमारा देश अमेरिका और उसके गुलाम जायनी शासन इजराइल के सामने डटकर खड़ा है और सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह बहुत प्रशंसनीय है।

अली ख़ामेनेई ने साफ कर दिया है कि ईरान इजराइल और अमेरिका के हमलों के खिलाफ पूरी तरह से तैयार है। यानी अगर इजराइल और अमेरिका युद्धविराम तोड़ते हैं और ईरान पर हमला करते हैं तो खामिनेई की सेना उन्हें करारा जवाब देगी और वह यहीं नहीं रुके। उन्होंने ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी बमबारी के जवाब में कतर स्थित अमेरिकी एयरबेस अल उदीद पर ईरान के मिसाइल हमले का भी जिक्र किया और कहा कि वह तो बस शुरुआत थी और अगली बार अमेरिका और उसके सहयोगियों को उससे कहीं बड़ा झटका झेलना पड़ सकता है।

ख़ामेनेई के बयान से साफ है कि अब ईरान पहले से भी ज्यादा आक्रामक रुख अपनाने वाला है। ईरान के तेवर काफी तीखे नजर आ रहे हैं जो इजराइल के लिए घातक साबित हो सकते हैं। वैसे इजरायली पीएम बिनयामिन नेत्याओं के लिए फिलहाल ईरान से भी ज्यादा बड़ी समस्या सामने आ गई है। उनकी कुर्सी खतरे में पड़ गई है क्योंकि उनकी सरकार अल्पमत में आ गई है। अब शास पार्टी ने भी सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया है।

पार्टी ने गठबंधन छोड़ने के मुद्दे पर कहा कि भारी मन से हमें यह स्वीकार करना पड़ रहा है कि हम सरकार का हिस्सा नहीं रह सकते। हालांकि हम इस सरकार को अस्थिर करने की कोशिश नहीं करेंगे और कुछ कानूनों पर गठबंधन का समर्थन कर सकते हैं। इससे एक दिन पहले यूनाइटेड टोरा जुडाइज्म यानी यूटीजे पार्टी भी इस सरकार से अलग हो गई थी। अनिवार्य मिलिट्री सर्विस से छूट को लेकर विवाद के चलते अब नेत्याओं की सरकार गिरने के कगार पर आ गई है। दरअसल इजराइल की 120 सीटों वाली संसद में सरकार बनाने के लिए 61 सीटें चाहिए। इन दोनों पार्टियों के अलग होने से अब सत्तारूढ़ गठबंधन के पास केवल 50 सीटें बची हैं और बिना बहुमत नेत्या सरकार नहीं चला सकते।

ऐसे में बेंजामिन नेतन्याहू मुश्किलों से घिर गए हैं। इजराइल एक साथ कई मोर्चों पर जंग लड़ रहा है। गजा में 2 साल से जंग छिड़ी हुई है। ईरान के साथ सीज फायर के बावजूद तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं। और इस बीच एक बार फिर सीरिया में इजराइल ने बमबारी कर दी। सीरिया के दक्षिणी शहर स्वेदा में बीते कुछ दिनों में भारी हिंसा देखने को मिली। सरकार समर्थक सुन्नी बेदोइन समुदाय शिया और डस सुन्नी के बीच झड़पें इतनी हिंसात्मक हो गई कि इनमें सीरियाई सेना को हस्तक्षेप करना पड़ा और जब सीरिया की सेना स्वेदा पहुंची तो इस सांप्रदायिक संघर्ष में एंट्री करते हुए इजराइल ने सीरिया की सेना उसके रक्षा मंत्रालय और दमिश्क स्थित राष्ट्रपति भवन को निशाना बना लिया। 

इजराइल ने 160 हवाई हमले किए। इजराइल ने वहां की लड़ाई में शामिल सीरिया की सरकारी सेना के टैंकों को निशाना बनाया। उसका कहना है कि वो ड्रूस समुदाय की रक्षा के लिए यह हमले कर रही है और जब तक सीरियाई सेना पीछे नहीं हटेगी इजराइली सेना अपने हमले जारी रखेगी। अलजजीरा के मुताबिक इजराइल ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में सैन्य मुख्यालय पर हमला किया। दो ड्रोन दागे। सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें लाइव शो के दौरान बमबारी होती दिख रही है। हालांकि अभी तक यह साफ नहीं है कि वो जगह मिलिट्री हेड क्वार्टर ही है। बीते पांच दिनों से चल रही इस हिंसक लड़ाई में अब तक 250 लोग मारे जा चुके हैं। एक बार फिर सीरिया अस्थिर हो गया है।

हालांकि इजराइली हमलों के बाद अब दोनों पक्षों में संघर्ष विराम की घोषणा कर दी गई। सीरिया की अलशरा सरकार ने ड्रूस नेताओं के साथ एक नए युद्ध विराम पर सहमति जताते हुए कहा कि इससे वहां उसके सैन्य अभियान पूरी तरह रुक जाएंगे। सरकार ने स्वेदा शहर से अपनी सेना को वापस बुलाना शुरू कर दिया है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने भी कहा कि इस सांप्रदायिक संघर्ष में शामिल पक्ष युद्ध विराम के लिए विशिष्ट कदमों पर सहमत हो गए हैं। इसके तहत शासन की सैन्य इकाइयों को पीछे हटना होगा और स्थानीय ड्रूस बलों को आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने की इजाजत देनी होगी।

दरअसल ड्रूस लोगों का सीरियाई सरकारों से टकराने का लंबा इतिहास रहा है। सीरिया में बशर अल असद के तख्ता पलट के बाद राष्ट्रपति अहमद अलशरा का शासन आया है। अब नई सरकार और ड्रूस के बीच संबंधों में तनाव पैदा होने का मुख्य मुद्दा ड्रूस मिलीिया का निरस्त्रीकरण है। सरकार और ड्रूस के बीच इस मुद्दे पर समझौता ही नहीं हो पा रहा है। और अब अगली खबर में बात होगी पाकिस्तान की। तो बलूच विद्रोही गुट लगातार पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को निशाना बना रहे हैं।

जिसके चलते पाकिस्तान की शहबाज सरकार बुरी तरह से घिर गई है। और अब एक और मामला सामने आ गया है जिसमें एक बार फिर सुरक्षा में चूक के मामले को गमा दिया है। दरअसल बलूचिस्तान में पाकिस्तानी आर्मी पर विद्रोहियों के हमले में वरिष्ठ अधिकारी मेजर रबी नवाज समेत 20 पाकिस्तानी सैनिकों की जान जाने की खबर है। यह हमले पिछले 12 घंटों में आवारान, क्वेटा और कलात जिलों में हुए। यह हमले सैन्य चौकियों को निशाना बनाकर किए गए।

वहीं बलूचिस्तान के कालात में एक यात्री बस पर हमला हुआ जिसमें तीन लोगों की जान चली गई और 13 लोग घायल बताए जा रहे हैं। इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए बलूच लिबरेशन आर्मी ने दावा किया है कि उन्होंने कलात और क्वटा में दो अलग-अलग ऑपरेशन में पाकिस्तान के 29 सुरक्षा बलों को ढेर कर दिया। इसके साथ ही इस जंग को बदस्तूर जारी रखने की भी बात कही गई है। बलोच लिबरेशन आर्मी ने बताया कि क्वेटा में बीएएलए की स्पेशल यूनिट फतह स्क्वाड ने पाकिस्तानी सैन्य कर्मियों को ले जा रही बस को निशाना बनाकर आईईडी अटैक किया। 

बलोच लिबरेशन आर्मी ने यह हमला अपनी इंटेलिजेंस इकाई ज़रब के खुफिया इनपुट के बाद किया। इससे पहले बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने 11 मार्च कोटा से पेशावर जा रही जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाईजैक कर लिया था। इस दौरान ट्रेन में 440 यात्री सवार थे। इस घटना में लड़ाकों ने 26 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। जिसमें 18 सुरक्षाकर्मी भी शामिल थे। आपको बता दें कि बलूच लिबरेशन आर्मी एक संगठन है जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत की स्वतंत्रता के लिए लड़ रहा है। इस मुद्दे पर अब पाकिस्तान में बवाल मच गया है। इसके अलावा आंतरिक राजनीति भी पाकिस्तान सरकार की सिरदर्दी बढ़ा रही है।

दरअसल लंबे समय से जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि अगर जेल के अंदर उन्हें कुछ होता है, तो इसके लिए आर्मी चीफ फील्ड मार्शल असीम मुनीर जिम्मेदार होंगे। इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक इंसाफ 5 अगस्त से देश भर में एक व्यापक प्रदर्शन भी शुरू करने जा रही है। जिसके तहत शहबाज शरीफ सरकार और सैन्य प्रतिष्ठान पर खान को रिहा करने का दबाव बनाया जाएगा। यानी कहा जा सकता है कि शहबाज सरकार दो तरफ़ा घिरी हुई है। 

बांग्लादेश में 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना सरकार का तख्तापलट हो गया था। छात्रों के जरिए की गई हिंसा के बाद हालात काफी तनावपूर्ण हो गए। जिसके चलते शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़ना पड़ा। और अब ठीक 1 साल बाद जुलाई 2025 में एक बार फिर बांग्लादेश में हिंसा भड़क उठी है। बांग्लादेश हिंसा की चपेट में है और इस बार छात्र मुजीबवाद को खत्म करने पर तुले हैं। गोपालगंज में आवामी लीग और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुई। इस हिंसा में चार लोग मारे गए। एनसीपी नेताओं ने गोपालगंज में एक रैली बुलाई थी। इस रैली के दौरान शेखर सिन्हा की पार्टी आवामी लीग के समर्थकों ने विरोध किया जिसके बाद हिंसा भड़क उठी। भीड़ को कंट्रोल करने के लिए सेना ने गोलियां चलाई।

आवामी लीग का आरोप है कि इस हिंसा को बांग्लादेश की सेना और एनसीपी के कार्यकर्ताओं ने अंजाम दिया है। आवामी लीग ने कहा कि सरकारी एजेंसियों और सेना के जरिए निहत्ते प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की गई। साथ ही जो लोग बोंगू बंधु की विरासत की रक्षा के लिए खड़े हुए उनकी जान ले ली गई। इस हमले के बाद एनसीपी नेता नाहिद इस्लाम और एनसीपी के दूसरे नेता हसनत अब्दुल्ला ने मुजीब की विरासत के अवशेषों को मिटाने का वादा किया। यानी कि छात्र बांग्लादेश का पूरा का पूरा इतिहास बदलना चाहते हैं। ऐसे में मोहम्मद यूनुस सरकार पर संकट मंडराने लगा है। क्योंकि साल 204 में ऐसी ही हिंसा के दौरान तख्तापलट हो गया था और अब एक बार फिर हालात कुछ ऐसे ही बनते दिखाई दे रहे हैं। 

बांग्लादेश में हिंदुस्तान के मशहूर फिल्म निर्देशक सत्यजीत रे के पैतृक घर को तोड़े जाने पर रोक लगा दी गई है। अधिकारियों ने अब यह तय करने के लिए एक समिति बनाई है कि इस घर को दोबारा कैसे बनाया जा सकता है। भारत सरकार ने हाल ही में बांग्लादेश से सत्यजीत रे की पैतृक संपत्ति को ध्वस्त करने के फैसले पर रोक लगाने की अपील की थी। जिसके बाद अब इस पर रोक लगा दी गई। आपको बता दें कि भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में काफी तनाव बना हुआ है और इसकी एक मुख्य वजह मोहम्मद यूनुस के तल्ख बयान भी माने जा रहे हैं। लेकिन अब बांग्लादेश की शीर्ष राजनीतिक पार्टी बीएनपी के एक बड़े नेता ने भारत के साथ रिश्ते अच्छे करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान हमारा पड़ोसी है। इसलिए बीएपी गरिमा, दोस्ती और एकता को बनाए रखते हुए सभी के साथ मिलकर काम करना चाहेगी। ऐसे में अब देखना होगा कि मोहम्मद यूनुस इस दिशा में क्या कदम उठाते हैं, उठाते हैं या नहीं। 

तो जरा सोचिए हमारी पृथ्वी और पूरी आकाशगंगा एक बहुत बड़ी खाली जगह में तैर रही है। जहां पूरे ब्रह्मांड के मुकाबले बहुत कम मैटर है। यह कोई साइंस फिक्शन नहीं है बल्कि एक नई साइंटिफिक थ्योरी है जो ब्रह्मांड के सबसे बड़े रहस्यों में से एक हबल टेंशन को सुलझाने की उम्मीद जगा रही है। हबल टेंशन एक अजीब विरोधाभास है। ब्रह्मांड के फैलने की स्पीड को जब दो अलग-अलग तरीकों से मापा जाता है तो इसके परिणाम भी अलग-अलग आते हैं। इसका एक तरीका है कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड यानी सीएमबी रेडिएशन से नापना जिससे हमें पूरे ब्रह्मांड के फैलने की एवरेज स्पीड पता चलती है। और इसका दूसरा तरीका है पास के ब्रह्मांड में दूर की गैलेक्सीस यानी आकाशगंगाओं की रेड शिफ्ट और सुपरनोवा की लाइट को माप कर स्पीड का पता करना। इन दोनों नतीजों में बहुत बड़ा फर्क है जिसने सालों से साइंटिस्ट को सोचने पर मजबूर कर रखा है।

ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्स माउथ के साइंटिस्ट इंद्रनील बैनिक का दावा है कि इस विरोधाभास का सबसे बड़ा कारण यह हो सकता है कि हमारी पृथ्वी एक बहुत बड़े लो डेंसिटी वॉइड यानी कम घनत्व वाली जगह में है जिसे वो हबल बबल कहते हैं। जबकि लैम्ब्डा कोल डार्क मैटर यानी एलसीडीएम मॉडल जो अब तक का स्टैंडर्ड मॉडल माना जाता था इन सब थ्योरीज के लिए यह मानकर चलता है कि ब्रह्मांड हर दिशा में एक समान है। यही असमानता साइंटिस्ट को अब पुराने मॉडल्स को रिव्यू करने पर मजबूर कर रही है। बैनिक की टीम अब कॉस्मिक क्रोनोमीटर का इस्तेमाल करके यह पता लगाने में जुटी है कि ब्रह्मांड के अलग-अलग हिस्सों में फैलने की स्पीड टाइम के साथ कैसे बदलती है। अगर यह मॉडल और डाटा भविष्य में भी खुद को सटीक साबित करते हैं, तो यह हबल टेंशन को स्थाई रूप से हल करने वाला सबसे स्ट्रांग साइंटिफिक मॉडल बन सकता है।

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