बांग्लादेश ने किया नज़रअंदाज़ भारत की अपील, 100 साल पुरानी विरासत को किया नष्ट

hindilokhind
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बांग्लादेश में राजनीतिक हालात बेहद नाजुक है। ऐसे में मोहम्मद यूनुस सरकार एक के बाद एक बांग्लादेश में मौजूद सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों को मिटाने पर तुली हुई है। और अब ऐसा ही एक मामला सामने आया है। यूनुस सरकार ने ऐतिहासिक 100 साल पुरानी इमारत को ध्वस्त कर दिया है। जिसके बाद से भारत और बांग्लादेश के बीच का तनाव और ज्यादा बढ़ सकता है।

बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार एक-एक करके देश में मौजूद सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों को मिटाती जा रही है। इसी कड़ी में अब उनका एक्शन भारतीय फिल्म मेकर सत्यजीत रे पर देखने को मिला। बांग्लादेश में सत्यजीत रे का पैतृक घर गिरा दिया गया है। इसे मैम सिंह शिशु अकादमी के नाम से जाना जाता था। 

भारत सरकार की तरफ से बार-बार अपील की गई और सांस्कृतिक महत्व की दुहाई दी गई। इसके बावजूद इस ऐतिहासिक 100 साल पुरानी इमारत को ध्वस्त कर दिया गया। भारत इस इमारत को संरक्षित करना चाहता था। इसी के चलते भारत ने बांग्लादेश को इमारत की मरम्मत और पुनर्निर्माण की पेशकश भी की थी।

लेकिन ढाका प्रशासन ने भारत की इन सभी गुजारिशों को नजरअंदाज कर दिया। यह वही घर था जहां सत्यजीत रे के दादा प्रख्यात साहित्यकार उपेंद्र किशोर रे चौधरी और उनके पिता प्रसिद्ध कवि सुकुमार रे रहा करते थे। भारत सरकार की तरफ से बांग्लादेश प्रशासन के इस कदम की कड़ी निंदा की गई है।

विदेश मंत्रालय ने इस घटना पर गहरा अफसोस जाहिर किया। इसे एक सांस्कृतिक क्षति करार दिया। भारत के बार-बार के हस्तक्षेप के बावजूद इस धरोहर का मिटा दिया जाना दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों के प्रति बांग्लादेश के रवैया पर सवाल खड़े करता है। यह सिर्फ एक पुरानी संरचना का विनाश नहीं है बल्कि इतिहास का ही सफाया है।

ऐसे में सवाल उठता है कि बांग्लादेश सरकार अब और कितने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को ध्वस्त करेगी। यून सरकार का यह फैसला ऐसे वक्त पर आया है जब भारत और बांग्लादेश के बीच पहले से ही कड़वाहट दिखाई दे रही है। इन हालात में दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।

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