जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन महादेव: लिडवास में तीन आतंकी ढेर, पहलगाम हमले का जवाब

भारतीय सेना की दृढ़ता और साहस का प्रतीक है ऑपरेशन महादेव, जिसने जम्मू-कश्मीर के लिडवास में तीन आतंकियों को ढेर कर पहलगाम हमले का बदला लिया। यह अभियान न केवल आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत कदम है, बल्कि घाटी में शांति और सुरक्षा स्थापित करने की दिशा में सेना के अटल संकल्प को दर्शाता है। ड्रोन और आधुनिक तकनीक के साथ संयुक्त कार्रवाई ने आतंकियों के मंसूबों को नाकाम कर दिया।

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जम्मू-कश्मीर, भारत का वह क्षेत्र जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ आतंकवाद की चुनौतियों से भी जूझता रहा है, एक बार फिर सुर्खियों में है। 28 जुलाई 2025 को, भारतीय सेना ने श्रीनगर के लिडवास इलाके में एक साहसिक और सफल आतंकवाद-रोधी अभियान, ‘ऑपरेशन महादेव’, के तहत तीन आतंकियों को मार गिराया। यह कार्रवाई न केवल भारतीय सेना की ताकत और रणनीतिक कौशल को दर्शाती है, बल्कि 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले का जवाब भी है, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। इस लेख में हम ऑपरेशन महादेव की पूरी कहानी, इसके महत्व, और इससे जुड़े तथ्यों को विस्तार से जानेंगे।

ऑपरेशन महादेव: एक रणनीतिक कदम

ऑपरेशन महादेव का नाम भगवान शिव के सम्मान में रखा गया, जो कश्मीर में अमरनाथ यात्रा और आध्यात्मिकता का प्रतीक हैं। यह अभियान श्रीनगर के लिडवास और हरवान इलाकों में शुरू किया गया, जो दाछीगाम नेशनल पार्क के पास घने जंगलों से घिरा हुआ है। इस क्षेत्र को आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) का गढ़ माना जाता है, जो लश्कर-ए-तैयबा का एक मोर्चा है।

सेना को दो दिन पहले संदिग्ध आतंकी गतिविधियों की खुफिया जानकारी मिली थी। इसके आधार पर, भारतीय सेना की चिनार कॉर्प्स, जम्मू-कश्मीर पुलिस, और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने संयुक्त रूप से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। ड्रोन और आधुनिक निगरानी तकनीकों का उपयोग करते हुए, सुरक्षाबलों ने आतंकियों के ठिकाने का पता लगाया और उन्हें घेर लिया।

सोमवार सुबह 7:30 बजे शुरू हुए इस ऑपरेशन में, जैसे ही सुरक्षाबल आतंकियों के ठिकाने के पास पहुंचे, आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में, सेना की 24 राष्ट्रीय राइफल्स (RR) और 4 पैरा यूनिट ने तीन आतंकियों को मार गिराया। मुठभेड़ के दौरान भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद, और राशन बरामद किया गया, जिसमें एके-47 राइफलें, एम4 कार्बाइन, और 17 अंडर बैरल ग्रेनेड शामिल थे।

पहलगाम हमले का बदला

22 अप्रैल 2025 को पहलगाम के बायसरण वैली में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इस हमले में TRF के आतंकियों ने 26 पर्यटकों को निशाना बनाया, जिनमें ज्यादातर हिंदू थे। आतंकियों ने पर्यटकों का धर्म पूछकर उन्हें गोली मार दी थी, जिससे यह हमला न केवल क्रूर, बल्कि सांप्रदायिक नफरत से प्रेरित भी माना गया। इस हमले की जिम्मेदारी TRF ने शुरुआत में ली थी, हालांकि बाद में उन्होंने इससे इनकार कर दिया।

हमले के बाद, भारतीय सेना ने आतंकियों को पकड़ने के लिए व्यापक तलाशी अभियान शुरू किया। अनंतनाग पुलिस ने तीन संदिग्ध आतंकियों—आदिल हुसैन ठोकर, हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान, और अली उर्फ तल्हा भाई—के स्केच जारी किए थे। सूत्रों के अनुसार, ऑपरेशन महादेव में मारे गए आतंकियों में हाशिम मूसा, जो लश्कर-ए-तैयबा का शीर्ष कमांडर और पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड था, शामिल है। अन्य दो आतंकियों की पहचान सुलेमान और यासिर के रूप में हुई है, जो पाकिस्तानी मूल के थे और संभवतः पाकिस्तानी सेना की स्पेशल सर्विस यूनिट के प्रशिक्षित कमांडो थे।

ऑपरेशन की रणनीति और तकनीक

ऑपरेशन महादेव की सफलता में भारतीय सेना की रणनीतिक योजना और आधुनिक तकनीक का महत्वपूर्ण योगदान रहा। सेना ने स्वदेशी ड्रोन और रडार का उपयोग करके आतंकियों के ठिकाने को ट्रैक किया। ड्रोन फोटोग्राफी के जरिए मारे गए आतंकियों के शवों की पुष्टि की गई। इसके अलावा, संदिग्ध रेडियो संदेशों को इंटरसेप्ट करके सुरक्षाबलों ने आतंकियों की सटीक लोकेशन का पता लगाया।

लिडवास और हरवान के जंगली इलाके, जो त्राल से पहाड़ी रास्तों से जुड़े हैं, आतंकियों के लिए छिपने का एक आदर्श स्थान थे। लेकिन सेना की सघन तलाशी और त्वरित कार्रवाई ने उनके मंसूबों को नाकाम कर दिया। मुठभेड़ स्थल पर बरामद सामान—जैसे कंबल, खाने-पीने की चीजें, और प्लास्टिक की थैलियां—यह संकेत देता है कि आतंकी किसी बड़ी साजिश की तैयारी में थे।

ऑपरेशन सिंदूर: एक समानांतर कार्रवाई

पहलगाम हमले के जवाब में, भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया था, जिसके तहत पाकिस्तान में स्थित नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए गए। इन हमलों में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के गढ़ों को निशाना बनाया गया। ऑपरेशन महादेव और ऑपरेशन सिंदूर दोनों आतंकवाद के खिलाफ भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को दर्शाते हैं।

सामरिक और मनोवैज्ञानिक महत्व

सैन्य ऑपरेशनों के नामकरण के पीछे एक गहरा मनोवैज्ञानिक और रणनीतिक महत्व होता है। ऑपरेशन महादेव का नाम न केवल सेना का मनोबल बढ़ाता है, बल्कि यह आतंकियों और उनके समर्थकों के लिए एक सख्त संदेश भी है। यह अभियान घाटी में शांति और स्थिरता स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

संसद के मानसून सत्र के दौरान, जब ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा हो रही थी, ऑपरेशन महादेव की सफलता ने सरकार और सेना के आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ संकल्प को और मजबूत किया। यह कार्रवाई स्थानीय लोगों में भी विश्वास जगाती है कि सुरक्षाबल उनकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।

चुनौतियां और भविष्य की दिशा

हालांकि ऑपरेशन महादेव ने तीन आतंकियों को ढेर कर एक बड़ी सफलता हासिल की है, लेकिन दाछीगाम के ऊपरी जंगली क्षेत्रों में और आतंकियों के छिपे होने की आशंका है। सेना ने पूरे इलाके को घेर लिया है और तलाशी अभियान जारी है। इसके अलावा, TRF और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों पर दबाव बढ़ाने के लिए खुफिया तंत्र को और मजबूत करने की जरूरत है।

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लंबी और जटिल है। भौगोलिक रूप से चुनौतीपूर्ण इलाके, सीमा पार से समर्थन, और स्थानीय स्तर पर भटके हुए युवाओं को आतंक की राह पर ले जाने की कोशिशें इस लड़ाई को और जटिल बनाती हैं। लेकिन भारतीय सेना की तत्परता और आधुनिक तकनीक का उपयोग इस जंग में एक नया आयाम जोड़ रहा है।

ऑपरेशन महादेव जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ भारतीय सेना की अटल प्रतिबद्धता का प्रतीक है। लिडवास में तीन आतंकियों को मार गिराना न केवल पहलगाम हमले का जवाब है, बल्कि यह घाटी में शांति और सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम भी है। सेना, पुलिस, और CRPF की संयुक्त कार्रवाई, ड्रोन और खुफिया जानकारी के उपयोग ने इस अभियान को सफल बनाया।

आने वाले दिनों में, सुरक्षाबलों को और सतर्क रहने की जरूरत है ताकि आतंकी संगठनों के नापाक इरादों को पूरी तरह कुचला जा सके। यह ऑपरेशन न केवल एक सैन्य जीत है, बल्कि यह हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण भी है, जो अपनी सेना के साहस और समर्पण को सलाम करता है।

डिस्क्लेमर:
यह लेख समाचार स्रोतों और सार्वजनिक जानकारी के आधार पर तैयार किया गया है। लेख में दी गई जानकारी को सटीक और विश्वसनीय बनाने का प्रयास किया गया है, लेकिन हम किसी भी त्रुटि या अपूर्ण जानकारी के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। पाठकों से अनुरोध है कि वे आधिकारिक स्रोतों से जानकारी की पुष्टि करें। यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से है और इसका उपयोग किसी अन्य संदर्भ में नहीं किया जाना चाहिए।

क्रेडिट:
इस लेख को तैयार करने में विभिन्न समाचार स्रोतों और सार्वजनिक जानकारी का उपयोग किया गया है, जिसमें NDTV, ABP Live, Aaj Tak, और Times Now Hindi जैसे विश्वसनीय प्लेटफॉर्म शामिल हैं। भारतीय सेना की चिनार कॉर्प्स के आधिकारिक X हैंडल से भी जानकारी ली गई है।
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